शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

एक और राजधानी

देहरादून को धोखे से उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी बनाने की बात अभी लोग भूले भी नहीं हैं की एक और राजनैतिक साजिश सामने आ गई। देहरादून को अस्थाई राजधानी बनाने के बाद यहीं जड़ें जमा कर बैठे हमारे माननीयों और नौकरशाहों ने अब एफिलिएटिंग यूनिवर्सिटी को देहरादून में ‘अस्थाई’ तौर पर जमाने का बीड़ा उठाया है। इसे लेकर गत मंगलवार को मंत्रीमंडल ने प्रस्ताव भी पारित कर हालाँकि नव प्रस्तावित को टिहरी के बादशाही थौल में खोले जाने का प्रस्ताव पारित किया गया, लेकिन वहां जिस स्थान पर इस यूनिवर्सिटी को खोले जाने की राय बनी है, वो कैम्पस केंद्रीय विश्व विद्यालय की संपत्ति है और क्या गारंटी है कि केंद्र सरकार अपनी संपत्ति को प्रदेश सरकार को दे ही दे। हालांकी मीडिया ने यह आशंका मंत्रीमंडल की बैठक की जानकारी दे रहे मुख्य सचिव एनएस नपल्चयाल के सामने भी उठाई। उन्होंने बताया की इस मामले में केंद्र सरकार को पत्र भेजा जाएगा।साफ है कि सरकार ने बादशाही थौल में जगह मिलने की उम्मीद के साथ ही कालेजों को संबदधता प्रदान करने वाले इस विश्व विद्यालय की स्थापना का निर्णय ले लिया। पहले ही सरकार के हाथों राजधानी के मामले में ठगे गए लोगों के लिए यह मामला ‘दूसरी राजधानी’ से कम नहीं है। कोई नई बात नहीं होगी कि बादशाही थौल के लोगों को अपना हक लेने के लिए बाद में आंदोलन का सहारा लेना पड़े।प्रदेश के 193 स्वपोषित कालेजों को संबद्धता प्रदान करने के लिए बनाए गए इस विश्व विद्यालय की अहमियत सरकार भी जानती है और अफसरशाही भी। जब तक बादशाही थौल में स्थान नहीं मिल जाता तब तक विवि को दून में ही चलाया जाए। मजेदार बात यह है की दून में भी अभी विवि के लिए कोई भवन चिन्हित नहीं किया गया है। विश्व विद्यालय के कुलपति से लेकर रजिस्ट्रार समेत कुल 19 पदों का सृजन किया जा चुका है। दरअसल बादशाही थौल में हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्व विद्यालय के भवन पर सरकार की नजरें टिकी हैं । चूँकि यह भवन केंद्र सरकार की संपत्ति है इसलिए यह केंद्र पर निर्भर है कि वह अपनी इस संपत्ति को प्रदेश सरकार को सौंपती है या नहीं। सूत्रों का कहना है कि केंद्र आसानी से बादशाही थौल के परिसर को प्रदेश को नहीं सौंपने वाला। हालांकि प्रदेश सरकार ने इस प्रस्ताव के साथ एफिलिएटिंग विश्व विद्यालय के स्थापना की गेंद केंद्र के पाले में फेंक दी है। गेंद चाहे किसी के पाले में जाए एक बात तो साफ है कि प्रदेश सरकार ने दून में विवि का अस्थाई परिसर बनाने का निर्णय लेकर देहरादून में एक और राजधानी की नींव डाल दी है।

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