मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

जागते रहो!

फिर लगी बारात सजने, जागते रहो!
और लगी खैरात बंटने जागते रहो!
पहन के कुर्ता पैजामा, सर पे टोपी कीमती,
आ रहे हैं वोट ठगने, जागते रहे!!

लोकतंत्र के हवन में लाजमी आहूतियां,
क्यों किसी के मंत्र जपने जागते रहो!

यदि समर है ये तो तुम भी पांडवों के पुत्र हो,
देना मत यह हाथ कटने जागते रहो!

वोट की कीमत प्रजा जब जान जाए देश में,
फिर लगेंगे गांव नपने, जागते रहो!

यदि परिश्रम हाथ में अपने लिखा है, छोडि़ए,
दो इन्हें ऐड़ी रगडऩे जागते रहो!  

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