शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

फांसी दो... फांसी दो


जनता बोले फांसी दो
मंगता बोले फांसी दो
लड़की बोले फांसी दो, लड़का बोले फांसी दो
सुपर हीरो भी भड़का, बोले
फांसी दो...फांसी दो।।

रोटी सेकती बीवी बोले, फांसी दो
बेटी देखकर टीवी बोले, फांसी दो
खेल कर आया बेटा बोला, फांसी दो
जाम में फंसा पिता चिल्लाया
फांसी दो ...फांसी दो।।

भीख मांगता भिखारी बोला, फांसी दो
वन में भटका शिकारी बोला, फांसी दो
खेतों में हलधर चिल्लाया, फांसी दो
बाबा जी को गुस्सा आया
फांसी दो....फांसी दो।।

महाराष्ट्र  का हांडे बोला, फांसी दो
अपुन का चुलबुल पांडे, बोला फांसी दो
सेना की भर्ती भन्नाई, फांसी दो
मरघट से अर्थी चिल्लाई
फांसी दो.....फांसी दो।।

अखबारों के पन्ने बोले, फांसी दो
गांव-गांव के 'अन्ने' बोले, फांसी दो
सीता -रीता -गीता बोली, फांसी दो
अंतरीक्ष परी सुनीता बोली
फांसी दो.......फांसी दो।।

राजघाट के गांधी बोले, फांसी दो
इंडिया गेट पर आंधी बोले, फांसी दो
आनंद भवन गरियाया बोला, फांसी दो
संजन वन  बौराया बोला
फांसी दो.....फांसी दो।।

हाट -हाट व्यापारी बोले फांसी दो
बाजी में फंसे जुआरी बोले फांसी दो
नेता की मक्कारी बोले फांसी दो
चूके हुए बलात्कारी बोले
फांसी दो.....फांसी दो।।

परदे की हसीना बोले फांसी दो
मजूदर का पसीना बोले फांसी दो
हर दरबारी नगीना बोले फांसी दो
जो बोला कभी ना, बोले
फांसी दो.....फांसी दो।।

अद्र्घरात्रि दस जनपथ बोला फांसी दो
धुंध में घिरा राजपथ बोला फांसी दो
गांव -गांव का मरघट बोला फांसी दो
लंगड़ा दौड़ा सरपट, बोला
फांसी दो....फांसी दो।।

रायसीना की छाती धड़की फांसी दो
गर्व से चौड़ी थाती फड़की फांसी दो
राजनीति मदमाती कड़की फांसी दो
घर- घर से हर लड़की बोली
फांसी दो....फांसी दो।।

सुषमा -शीला मिलकर बोलीं फांसी दो
रेखा हेमा खुलकर बोलीं फांसी दो
ममता माया रल मिलकर बोलीं फांसी दो
गुड्डी रोई, रो-रोकर बोलीं
फांसी दो....फांसी दो।।

भावी राजकुमार ने बोला फांसी दो
गुजराती सरकार ने बोला फांसी दो
उद्धव के अखबार ने बोला फांसी दो
कान्हा के परिवार ने बोला
फांसी दो.....फांसी दो।।

 जितने थे मजबूर वो बोले फांसी दो
धर्मों के दस्तूर भी बोले फांसी दो
जो थे घर से दूर वो बोले फांसी दो
कानून करो मंजरू उन्हें बस
फांसी दो.....फांसी दो

शिदें जी आंइदा बोले फांसी दो
पीएम थे शर्मिंदा, बोले फांसी दो
दादा ने की निंदा, बोले फांसी दो
जितने थे जिंदा  सब बोले
फांसी दो.....फांसी दो।।

पागल एक औरत चिल्लाई, फांसी दो
मांग रहे हो किससे भाई, फांसी दो
जब सब की है एक लड़ाई, फांसी दो
फिर फाइल क्यों नहीं बनाई..............

1 टिप्पणी:

  1. बन चुकी आवाज अब तो फांसी दो ..
    रूंध गई आवाज अब तो फांसी दो
    फांसी दो, फांसी दो, फांसी दो।।!

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