शुक्रवार, 4 मार्च 2011

अब तक तो 4जी घोटाला भी खुल जाता जी


व्यंग्य
अब तक तो 4जी घोटाला भी खुल जाता जी

देश के नामी गिरामी लोगों के ग्रह इन दिनों ठीक नहीं चल रहे हैं। राजा रंक बन चुके हैं तो कलमाड़ी सहमे हुए बैठे हैं जाने कब सादी वर्दी में सीबीआई आए और ससुराल ले जाए। कलमाड़ी क्या छोटे बड़े घोटाले कर के अब तक कालर खड़े करके घूमने वाले कई लोगों के कालर आज कल गिरेबान के ऊपर झूल रहे हैं। कई भाई लोगों के गिरेबान तक सीबीआई के हाथ पहुंचने ही वाले हैं तो कई के कालर इस जांच एजेंसी कभी भी ऐंठ सकती है। हालात को समझते हुए कलमाड़ी भाई ने आखिरी भभकी भी दिखा दी, पर होई है जो राम रचि राखा....वाली चैपाई शायद तुलसीदास जी ने उन्हीं के लिए ही लिखी थी। राजा भी ससुराल जाने से पहले ऐसे ही सीबीआई को घुड़की मार रहे थे, पर अब चुपचाप जेल की रोटी खा रहे हैं। परसों अखबारों ने छापा था कि राजा जमीन पर सोए, मेस की रोटी खाई, पढ़कर पत्रकार को कच्चा चबा जाने का मन करने लगा था। भले ही शेर भूखा मर जाए लेकिन वह घास कभी नहीं खाता ऐसे ही चाहे कितना बुरा वक्त जाए राजा जमीन पर नहीं सो सकता। वो तो नाम से भी राजा ही हैं.... अगर बंदा जमीन पर सो भी गया तो उस पर खबर लिखनी क्या जरूरी थी। राजा का नहीं कम से कम पुरखों के मुहावरे का तो ख्याल किया होता। अब कोई और मुहावरा गढ़ना होगा। गनीमत है राजा साहिब का केस उत्तर प्रदेश की पुलिस साल्व नहीं कर रही है वर्ना अब तक राजा साहब 2 जी से लेकर 4 जी स्पेक्ट्रम तक के सारे राज उगल चुके होते, क्या कहा 4 जी तो अभी आया ही नहीं तो क्या हुआ आप हमारी यूपी पुलिस की काबिलियत पर शक नहीं कर सकते, यह वही पुलिस है जो बड़े से बड़े के को पलक झपकते ही साल्व कर देती है, पर क्या करें जितने भी बड़े मामले होते हैं सबमें हाथ रिक्शा चालकों या फिर कूड़ा बीनने वालों का ही होता है, पहली बार यूपी पुलिस के हाथ राजा जैसी शख्सियत लगती तो इसमे कोई संदेह नहीं कि यूपी की काबिल पुलिस उनसे निकट भविष्य में होने वाले 4 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के राज भी उगलवा कर ही छोड़ती। अब जरा कल्पना करें कि कलमाड़ी मामले को भी समय रहते यूपी पुलिस के हवाले कर दिया जाता तो क्या वे इस समय कोई बयान देने लायक बचते। आज केंद्र सरकार को लपेटने वाले कलमाड़ी इस समय खुद ही लिपटे पड़े होते कहीं। उनसे हमारी पुलिस अगले खेलों में होने वाले संभावित घोटालों के राज भी उगलवा की बाहर लिकलवा लेती। वह तो सीबीआई है जो आइये सर, बताइये सर की रट लगाए रहती है। यूपी पुलिस के सामने जो एक बार नहीं खुलता तो पुलिस अगली बार में उसे ही खोल देती है। यह अलग बात है कि एक दो पुलिस वालों के लिए माया कमजोरी है, पर इसका मतलब यह तो नहीं कि पृथ्वी लोक के सभी मायावियों की चप्पलें यूपी पुलिस साफ करती फिरे। पत्रकारों ने तो इस छोटी सी बात का भी बतंगड़ ही बना दिया। बहन जी की सुरक्षा में लगे जवान का फर्ज था कि वे साए की तरह उन के साथ रहे। चप्पलों में लगी धूल की वजह से बहन जी को एलर्जी हो जाती और वे जुखाम या बुखार का शिकार हो जातीं तो आप लोग सुरक्षा दल को ही कसूरवार ठहराते न। खैर यूपी पुलिस जानती है ऐसे लोगों से कैसे निपटना है। फैसला आन स्पाट करने में भी हमारी पुलिस पीछे नहीं है। इसलिए कलम के सिपाहियों कानून के सिपाहियों से पंगा मत लेना। कलम तोड़ के कहां डाल दी जाएगी इसकी कल्पना मात्र से ही अपना तो दिल सहम जाता है।

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