नानी एक कहानी कह
सबकी है जब अपनी रातें
नींद नहीं क्यों आनी कह...
कैसी मस्जिद कैसा मंदर
सबके लिए है एक समंदर
फिर क्यों झांसे में आ जाती
अब झांसी की रानी कह...
बोझ जमाने भर का लादे
चश्मे चढ़ते आखों पर
क्यों पन्नों में ही खो गई
बच्चों की शैतानी कह...
फूलों सी रंगत चहेरों की
कितने बरस हो गए देखी थी
फीके चेहरे, रूखी बातें
क्यों बेरंग जवानी कह...
क्यों रोते हैं बच्चे जग कर
रात-रात को नींदों से
तेरी कहानी से गायब हैं
क्यों राजा और रानी कह...
तेजपाल भाई, नानी की कहानी को याद करते हुए आपने वर्तमान पर प्रहार किया है, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंAAP BADDIMAG PAR AAYE ABHAR SANJJEV JEE
जवाब देंहटाएंNICE
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