शनिवार, 16 जनवरी 2010
धार पर सवाल
हिमाचल की पत्रकारिता अभी ऐसे मुकाम पर नहीं पहुच सकी है जहाँ से उसे धनार्जन और भविष्य का साधन बनाने के रास्ते खुलें। संभवत यही वजह है कि आज के हिमाचली पत्रकारों से सर्जनात्मक पत्रकारिता कि उम्मीदें कम ही की जा रहीं हैं। आरोप हैं कि हिमाचली पत्रकारों में प्रोफेश्निलिज़ेम का अभाव है। वे ख़बरों कि तह में जाने के बजाय वे उथली ख़बरें ही लिख कर अपनी जिम्मेदारी से पल्लू झाड़ते नजर आते हैं। पत्रकारिता एक विधा है और इस विधा के माहिर अभी हिमाचल कि धरती ने कम ही जने हैं. जो पैदा भी हुए उन्हें बाहरी राज्यों ने उठा लिया। जिनके अन्दर प्रतिभा है उन्हें अच्छे मंच नहीं मिल रहे है। जिन्हें मंच मिले हैं वे प्रताड़ित हैं। ख़बरें लिखने के बजाये उन्हें विज्ञापनों के लिए भटकन पड़ता है। अब पत्रकारिता को अपने जीवन का उद्देश्य बनाने का सपने ले कर आये युवा अख़बारों के विज्ञापन प्रतिनिधि बन कर रह गए हैं। पत्रकारिता उनके लिए दूसरी प्राथमिकता बन गयी है। आने वाले समय खड़ी दिखाई देगी। हिमाचली पत्रकारिता पर आपकी प्रतिक्रिया आवश्यक हैं ताकि हमें दिशा मिले साथ ही प्रबंधनों को भी शर्म आये।
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